आंसू ये रुकते नहीं लफ्ज खुलते नहीं;
आंसू ये रुकते नहीं लफ्ज खुलते नहीं;


ये याद निमाणी जब भी आ जाती है रात गुजरती नहीं दिन ढलता नहीं

-----------------------------------------------------------------


दिल मैं जज़्बातो का भार किया पड़ने लगा ,आंसू ये रुकते नहीं लफ्ज खुलते नहीं;,दर बा दर भटकना तकदीर बन गयी ,कोई मंजिल नही कदम रुकते नहीं;
तकलीफो से गुजरते उसको ही याद किया ,वो लौटा ही नहीं ज़ख्म भरते ही नहीं;
कैसे यकीन होता झूठी थी हर एक बात, मोह्हबत किया करती वह संगदिल नहीं;
थम सी गयी रफ़्तार ज़िन्दगी की यु ,दर्द भड़ता जाए  रात गुजरती नहीं;
मेरे इश्क़ का इम्तेहान और ना ले जीत, मरना चाहते है हम सांसे रूकती नहीं;