मेरी मोहोब्बत का एहसास थोड़ा कम था थोड़ा जियादा
मेरी मोहोब्बत का एहसास थोड़ा कम था थोड़ा जियादा


मेरी मोहोब्बत का एहसास थोड़ा कम था थोड़ा जियादा मेरे अल्फाज़ो मैं दम थोड़ा कम था थोड़ा जियादा;
एक पल भी न देखा उसने मुझे मुड़कर यु दर्द ऐ जुदाई का गम थोड़ा कम था थोड़ा जियादा;
महफ़िल मैं आये आंसू झूठी ख़ुशी मैं छुपा लिए उन आंसुओ का सैलाब थोड़ा कम था थोड़ा जियादा;
खत पढ़ते हुए याद आ गयी वो हिज्र की रात उसकी वफाओ का सिला थोड़ा कम था थोड़ा जियादा;
क़फ़स ऐ तन्हाई मैं जब भी फसते रहे अक्सर हम संगदिल की दीवानगी का असर थोड़ा कम था थोड़ा जियादा;
यु ही जी रहा था तेरे बिन ज़िन्दगी मैं जीत तड़पके जीने का अंदाज़ थोड़ा कम था थोड़ा जियादा;