कियो आलम ऐ तनाही थी |
कियो आलम ऐ तनाही थी बे रूखी लौट आयी थी;
क़फ़स ऐ मोह्हबत मैं फसके मेरी जान निकल आयी थी;
वो सनम हरजाई निकलाजिसने मेरी रूह मिटाई थी;
दिन महीने साल गुजर गए वो लौट के न आयी थी;
अहल ऐ जहां रोया बोहोत दास्तान ऐ मोह्हबत सुनाई थी;
ज़ख़्म इतने लगे मेरे दिल पे मोह्हबत अब रोग बन आयी थी;
अरमान था दीदार ऐ यार का आखरी घडी जब क़रीब आयी थी;
इश्क़ करना गुनाह हो गया जीत लोगो ने अक्सर बात समझाई थी;
0 टिप्पणियाँ
Thank you so much but d, nt use spam comments