आंखे नम थी मेरी----ghazal


आंखे नम थी मेरी,ख़ुशी का पल कोई जीया न गया हाथो वाला जाम होंठो से लगा पर पिया न गया;
जाते हुए इस दिलबर ने मांगी भी तो जुदाई वादा कर बैठे थे इसलिए इंकार किया न गया;
अक्सर उसको याद करके खुदको सजा देते है वो ज़ख्म कुरदते रहे हमसे ज़ख्म सीया न गया;
उनसे मोहोबत इतनी थी की उसे समझ न पाए खुद तनहा जीए उसको कोई दुःख दिया न गया;
दिल करता है उसको बेवफाई की सजा दू जीत ख़ुशी की दुआ की थी इसलिए फैसला लिया न गया;